Friday, January 30, 2009

सोच के बारे में सोच

पोस्‍ट नंबर : 5

       जीवन की एक सहज प्रक्रिया है सोचना। शायद जीवन का सब कुछ यहीं से शुरू होता है। मानव का अमोघ अस्‍त्र है सोच, अच्‍छी सोच, जागरूक सोच, वैज्ञानिक सोच, साहित्यिक सोच, सामाजिक सोच, आध्‍यात्मिक सोच, आत्मिक सोच ............... सोच ही सोच। तो प्‍यारे :

कल की सोच, 
आज की सोच,
आने वाले 
कल की सोच।

जनने की सोच,
पालने की सोच,
पाने की सोच,
त्‍यागने की सोच।

मारने की सोच,
मरने की सोच, 
मिटने की सोच,
मिटाने की सोच।

लूटने की सोच,
लुटाने की सोच,
पढ़ने की सोच, 
पढ़ाने की सोच।

छपने की सोच,
छपाने की सोच
सोच ही सोच ,
अरे भाई सोच,
जम कर सोच।
मगर सबसे पहले
अपनी सोच के
बारे में सोच।

From the desk of : MAVARK

Monday, January 26, 2009

अपराध बोध

पोस्‍ट नंबर:  4 

जिनके इशारों पर मैं चलाता रहा पत्‍थर, 
उनकी मुस्‍कराहटों के पहचान ये पत्‍थर ।
जब लौट कर आये मेरे लिये,
त‍ब भी वे मासूमियत से मुस्‍कराते रहे।

मैं तड़पता रहा दोनों दर्दों* से,
वे मुस्‍कराते रहे आम हमदर्दों से

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* लौटे हुये  पत्‍थरों की चोट और उनकी मुस्‍कराहट का दर्द 


मनन : कहीं हम किसी के बहकावे में या आदेश पर कुछ ऐसा तो नहीं कर रहे,
            जिसके लिए हमें बाद में ग्‍लानि हो। 

From the desk of :  MAVARK

Thursday, January 22, 2009

आतंक को कौन समर्थन देगा ?

पोस्‍‍ट नंबर: 3  

(सामायिक चर्चा) 

अरे‍ टिक्‍कू जी, कहां जा रहे हो। पीछे से आवाज देकर चौबे काका ने बुलाया।
काका राम राम। का बात है।
अरे भाई, कल जो तुमने दिमाग में एक जिज्ञासा बैठा दी है उसका समाधान तो दे दो। बताओ तो अमरीकी गोरों ने ओबामा में ऐसा क्‍या देखा कि उसको ओसामा का तोड़ मान लिया और देखो मुझे पता है कि बिना चाय पिये कुछ बोलोगे नहीं तो चलो छुटकऊ की दुकान पर चाय पिलाता हूं।
काका दुनिया में जितने धार्मिक लोग हैं। सो काल्‍ड धार्मिक वो समझते हैं कि धार्मिक होने का मतलब है सिर्फ अपने धर्म के मानने वालों की संख्‍या बढ़ाओ। चाहे पैसा बांट के, लालच दे के, भ्रमित कर के, डरा कर, धमका कर या कुछ न चले तो आतंक के सहारे। ओसामा यही तो कर रहा है। वो चाहता है कि सारा विश्‍व मुसलमान हो जाये और कुराने पाक को चाहे समझे, चाहे न समझे, चिल्‍लाये कि मैं कुरान शरीफ का सबसे बड़ा अनुयायी हूं।
अब आप ही बताओ, आज के पहले इस काम की कोशिश तो बहुत लोगों ने की, कोई सफल हुआ। जो आज तक नहीं हुआ वो अब कैसे होगा। हां, मानव धर्म के मानने वालों की संख्‍या जरूर बढ़ती जा रही है और किसी भी सीमा तक जा सकती है जिसके अंदर सारे धर्म समा सकते हैं तो याद करो ओबामा ने क्‍या कहा है। उसने कहा है वी आर ए नेशन ऑफ क्रिस्चिएशन्‍स एंड मुसि्लम्‍स, ज्‍यूस एंड हिन्‍दूज - एंड नॉन विलीवर्स "we're a nation of Christians and Muslims, Jews and Hindus - and non-believers" Times of India dated 21 January, 2009 देखा, कितना होशियार है, सबको समेट लिया अपने तम्‍बू में। अगर ईमानदारी से चलेगा तो ससुरा जरूर पटक देगा ओसामा को। ओसामा को तो विश्‍व के सारे मुसलमान भी समर्थन नहीं देते हैं। आखिर आतंक को कौन समर्थन देगा ?  

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ओसामा का तोड़

पोस्‍ट नंबर 2

(सामायिक चर्चा)

नमस्‍कार

        मेरी आज आपसे यह पहली मुलाकात है, वैसे तो मुझे अनगिनत लोग जानते हैं लेकिन अनगिनत का मतलब सब लोग तो नहीं है। मेरा नाम श्री टी. आर. पाण्‍डेय, पूरा नाम टीका राम पाण्‍डेय है। संक्षेप में मुझे टी.आर.पी. भी कहते हैं लोग। और जो लोग मेरे टी.आर.पी. से वाकिफ हैं वो मेरे को टिसुन राम पाण्‍डेय बोलते हैं। प्‍यार से टिसुनवा कहते हैं। जो लोग प्‍यार और इज्‍जत एक साथ देना चाहते हैं वो मुझे टिक्‍कू या टिक्‍कू जी कह कर बुलाते हैं और मेरी बातों को वो टिप्‍पणी का दर्जा देते हैं। लेकिन टिसुनवा कहने वाले तो मेरी बात को, मेरी राय को, मेरे मशविरे को टिपासा कह देते हैं। मेरा काम ही है टीका टिप्‍पणी करना।  मैं जब भी कुछ कहता हूं तो पूरी ईमानदारी से दिलो-दिमाग से कहता हूं। बात तो लोगों को चुभती है, अपील करती है। कुछ लोग मेरी बात से जरूरत से ज्‍यादा मुतासिर भी हो जाते हैं लेकिन जिन्‍हें मेरी बात चुभती है वो कहते हैं देखा, टिसुनवा ने‍ फिर एक  टिपासा जड़ दिया। खैर ... यह तो मैं आप पर छोड़ देता हूं, आप मुझे कैसे सुनते हैं, समझते हैं और देखते हैं । माफ कीजिएगा, आप देख तो नहीं सकते, महसूस अवश्‍य कर सकते हैं। 

टिसुन का अर्थ होता है निहायत कंजूस। अब ये कंजूसी कहां कहां झलकती है, इसका निर्णय आप स्‍वयं करेंगे। हां, छुटकऊ चाय वाले की दुकान पर अगर मुझे कोई एक प्‍याली चाय पिलाता है तो मैं उसे अपने टिपासे से जरूर नवाजता हूं। मेरे पास न वक्‍त की कमी है और न कमी है टिपासों की लेकिन यह टिपासा रिलीज करने में भी मैं कंजूसी बरतता हूं, मेरी आदत जो ठहरी कंजूसी की। 
हा हा हा। 

लो आज की बात बता देता हूं हमारी आपकी पहली मुलाकात है खाली न जाये। 
आज सुबह जब चौबे काका ने, जो कि हमारे गांव के प्रधान भी हैं, चाय की दुकान पर मिले और  मुझे चाय पिलाई तो बड़े प्‍यार से बोले, अरे भाई टिक्‍कू जी, आज का अखबार पढ़ा , दो तीन दिन से तो अमरीका ही छाया है। अमरीका क्‍या अमरीका का वो नया राष्‍ट्रपति जो है न, ओबामा। उसी की सारी खबर रहती है। मुझे तो बड़ा आश्‍चर्य हो रहा है कि इन गोरों की बुद्धि भ्रमित हो गई है क्‍या, जो इन्‍होंने एक काले को अपना राष्‍ट्रपति बना दिया। 

        अ....... रे रे रे रे रे ... रे     काका,  आप भी बड़े भोले हो, कभी कोई अपना गुण धर्म थोड़े ही बदल सकता है। जब केमिस्‍ट्री (रसायन विज्ञान) में किसी भी एलीमेंट का गुण धर्म नहीं बदलता है, चाहे कितने भी प्रयोग किए जाएं और न कोई नया एलीमेंट किसी भी प्रक्रिया से बनाया जा सकता है तो भला ये गोरे कहां से बदलेंगे। ये तो सब बुरी तरीके से पिछले कई साल से पस्‍त हैं ओसामा से। सारा जतन करके देख लिया फिर इनको ये समझ में आया कि कांटा कांटे से ही निकलेगा, विष का इलाज विष से ही हो सकता है इसीलिए इन्‍होंने ओसामा को मात देने के लिए ओबामा ढूंढा है। इसका सूक्ष्‍म विवेचन अगली चाय की प्‍याली  पर करूंगा लेकिन इतना बता देता हूं कि ये बहुत बड़ी होशियारी गोरों ने दिखाई है।   

From the desk of : MAVARK

Sunday, January 18, 2009

तप

हम कल्पना करते हैं,
यथार्थ में मनन करते हैं,
बात करते हैं,
बहस करते हैं,

सहमत होते हैं,
कर्म में परिणत करते हैं,
अपनी कल्पनाओं को,
अपने विचारों को अपनी सोच को  ।

सृजन होता है,
एक सुंदर घर का,
एक सुंदर समाज का,
एक सुंदर देश का,
एक सुंदर विश्‍व का,
यदि हम ईमानदार रहें,
मनसा वाचा कर्मणा ।
यही है विश्‍व का सबसे बड़ा तप।

From the desk of:  MAVARK