हम कल्पना करते हैं,
यथार्थ में मनन करते हैं,
बात करते हैं,
बहस करते हैं,
सहमत होते हैं,
कर्म में परिणत करते हैं,
अपनी कल्पनाओं को,
अपने विचारों को अपनी सोच को ।
सृजन होता है,
एक सुंदर घर का,
एक सुंदर समाज का,
एक सुंदर देश का,
एक सुंदर विश्व का,
यदि हम ईमानदार रहें,
मनसा वाचा कर्मणा ।
यही है विश्व का सबसे बड़ा तप।
यथार्थ में मनन करते हैं,
बात करते हैं,
बहस करते हैं,
सहमत होते हैं,
कर्म में परिणत करते हैं,
अपनी कल्पनाओं को,
अपने विचारों को अपनी सोच को ।
सृजन होता है,
एक सुंदर घर का,
एक सुंदर समाज का,
एक सुंदर देश का,
एक सुंदर विश्व का,
यदि हम ईमानदार रहें,
मनसा वाचा कर्मणा ।
यही है विश्व का सबसे बड़ा तप।
From the desk of: MAVARK
पते की बात.....
ReplyDeleteनया ब्लाग बनाया क्या? बहुत अच्छा है।
ReplyDeleteतप तप तप
ReplyDeleteपर किसी को
मत दे ताप।
तप-तप तपाक से तपा गये,
ReplyDeleteआपके भाव हमे भी भा गये.