Thursday, January 22, 2009

आतंक को कौन समर्थन देगा ?

पोस्‍‍ट नंबर: 3  

(सामायिक चर्चा) 

अरे‍ टिक्‍कू जी, कहां जा रहे हो। पीछे से आवाज देकर चौबे काका ने बुलाया।
काका राम राम। का बात है।
अरे भाई, कल जो तुमने दिमाग में एक जिज्ञासा बैठा दी है उसका समाधान तो दे दो। बताओ तो अमरीकी गोरों ने ओबामा में ऐसा क्‍या देखा कि उसको ओसामा का तोड़ मान लिया और देखो मुझे पता है कि बिना चाय पिये कुछ बोलोगे नहीं तो चलो छुटकऊ की दुकान पर चाय पिलाता हूं।
काका दुनिया में जितने धार्मिक लोग हैं। सो काल्‍ड धार्मिक वो समझते हैं कि धार्मिक होने का मतलब है सिर्फ अपने धर्म के मानने वालों की संख्‍या बढ़ाओ। चाहे पैसा बांट के, लालच दे के, भ्रमित कर के, डरा कर, धमका कर या कुछ न चले तो आतंक के सहारे। ओसामा यही तो कर रहा है। वो चाहता है कि सारा विश्‍व मुसलमान हो जाये और कुराने पाक को चाहे समझे, चाहे न समझे, चिल्‍लाये कि मैं कुरान शरीफ का सबसे बड़ा अनुयायी हूं।
अब आप ही बताओ, आज के पहले इस काम की कोशिश तो बहुत लोगों ने की, कोई सफल हुआ। जो आज तक नहीं हुआ वो अब कैसे होगा। हां, मानव धर्म के मानने वालों की संख्‍या जरूर बढ़ती जा रही है और किसी भी सीमा तक जा सकती है जिसके अंदर सारे धर्म समा सकते हैं तो याद करो ओबामा ने क्‍या कहा है। उसने कहा है वी आर ए नेशन ऑफ क्रिस्चिएशन्‍स एंड मुसि्लम्‍स, ज्‍यूस एंड हिन्‍दूज - एंड नॉन विलीवर्स "we're a nation of Christians and Muslims, Jews and Hindus - and non-believers" Times of India dated 21 January, 2009 देखा, कितना होशियार है, सबको समेट लिया अपने तम्‍बू में। अगर ईमानदारी से चलेगा तो ससुरा जरूर पटक देगा ओसामा को। ओसामा को तो विश्‍व के सारे मुसलमान भी समर्थन नहीं देते हैं। आखिर आतंक को कौन समर्थन देगा ?  

From the desk of: MAVARK

3 comments:

  1. हिन्‍दी ब्‍लॉग की दुनिया में स्‍वागत। आगाज से तो लगता है कि आपके ब्‍लॉग पर कुछ नया जरूर मिलेगा। आपकी तीनों पोस्‍ट पढ़ीं, अच्‍छी लगीं। सबसे अच्‍छा लगा आपके ब्‍लॉग का थीम। शुभकामनायें।

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स्‍वा्गतम्