
POST NO. 18
WISHING YOU ALL A VERY VERY HAPPY INDEPENDENCE DAY
सरहद तक आंगन है
हम धरती के फूल, गगन पावन माटी चन्दन है,
देश एक परिवार हमारा,सरहद तक आंगन है।
सतरंगे सुमनों की शोभा , सब धर्मों की क्यारी,
मानवता की महक सभी में देश एक फुलवारी।
नाचें, गायें, खेलें, कूदें , भरें सभी किलकारी,
इस माटी को नमन करें, है जो प्राणों से प्यारी।
द्वेष,घृणा या लोभ सरीखे, भाव न मन में लायें,
कभी न मांगे, कभी न छीनें, पौरुष से उपजाएं।
श्रम आधार और समता ही जीवन शैली होगी,
कभी न हम से,मानवता की चादर मैली होगी।
ऐसा दृढ़ संकल्प हमारा , जीवन में अपनायें,
सबके लिए खुशी-खुशहाली इस जगती पर लाएं।
(1986)
=========================================
BY: From the desk of MAVARK
Waah !!! Bahut Bahut sundar rachna jise padhte hi man praffulit hogaya,desh bhakti ki bhavna aur bhi prakhar hui.....Aabhra aapka.
ReplyDeleteसुन्दर कविता ...बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना लिखा .. जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteपढ़ा अच्छा लगा.देश के प्रति अच्छे विचारों का स्वागत है.धन्यवाद.
ReplyDelete