Friday, August 14, 2009



POST NO. 18
WISHING YOU ALL A VERY VERY HAPPY INDEPENDENCE DAY
सरहद तक आंगन है
हम धरती के फूल, गगन पावन माटी चन्‍दन है,
देश एक परिवार हमारा,सरहद तक आंगन है।
सतरंगे सुमनों की शोभा , सब धर्मों की क्‍यारी,
मानवता की महक सभी में देश एक फुलवारी।
नाचें, गायें, खेलें, कूदें , भरें सभी किलकारी,
इस माटी को नमन करें, है जो प्राणों से प्‍यारी।
द्वेष,घृणा या लोभ सरीखे, भाव न मन में लायें,
कभी न मांगे, कभी न छीनें, पौरुष से उपजाएं।
श्रम आधार और समता ही जीवन शैली होगी,
कभी न हम से,मानवता की चादर मैली होगी।
ऐसा दृढ़ संकल्‍प हमारा , जीवन में अपनायें,
सबके लिए खुशी-खुशहाली इस जगती पर लाएं।
(1986)
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BY: From the desk of MAVARK

4 comments:

  1. Waah !!! Bahut Bahut sundar rachna jise padhte hi man praffulit hogaya,desh bhakti ki bhavna aur bhi prakhar hui.....Aabhra aapka.

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  2. बहुत सुंदर रचना लिखा .. जन्‍माष्‍टमी और स्‍वतंत्रता दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!

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  3. पढ़ा अच्छा लगा.देश के प्रति अच्छे विचारों का स्वागत है.धन्यवाद.

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स्‍वा्गतम्