
पोस्ट नंबर 16
दांत पैने हो गए हैं,
और पंजे कस गए हैं,
रहनि चिरइन की कठिन है
पर अभी संभावना है।
रात भीगी तम घना है,
अन्धड़ों का रौ बना है,
लौ दिया की है कठिन पर,
प्रात की संभावना है।
धनु अहेरी के खिंचे हैं,
अंग भर कांटे चुभे हैं,
पंख चिरइन के खुले हैं,
इसलिए संभावना है।
पीर चिरइन की गुनी है,
उठ पड़ी पूरी अनी है,
पीर की कहनी कठिन पर,
शब्द हैं संभावना है।
सभार : "पर अभी सम्भावना है" नामक पुस्तक से ! लेखक : Dr. S. P. Singh
ई मेल drspsingh@purvapar.com
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