Wednesday, March 4, 2009

खून

POST No. 10
   खून..... !  
अरे टिक्‍कू जी आप तो ओसामा की चर्चा के बाद भूमिगत हो गये। कहां चले गये थे इतने दिनों के लिये। बड़े मायूस दिख रहे हो। इतनी उदासी और चुप्‍पी का सबब ? अरे भई कुछ तो बोलो।
क्‍या बताऊं मित्र आप खुद बताओ कोई भी आदमी खून करके खुश रह सकता है क्‍या ?
      क्‍यों आजकल तो यही हो रहा है खून करो और नाम कमाओ। अब तो इस नये जमाने की चाल यही है। एक दो नहीं हजारों को मारो और मरवाओ और सब करने के बाद अपने को उचित ठहराते रहो किसी न किसी तर्क के द्वारा।
टिक्‍कू : अरे भाई मैं उन लोगों में नहीं हूं कि जो हजारों खून करके खुश और उन्‍नत मस्‍तक होकर घूमते नजर आते हैं। मैं तो यहां दो चार में ही बेहाल हो जाता हूं। अभी इस एक और खून के बाद मेरा इतना बुरा हाल है कि मैं दो दिन तक तो सो ही नहीं सका और आज भी उस आदमी के लिये मुझे पूरी हमदर्दी है मगर क्‍या करूं यह काम मैंने तो बेहद मजबूरी में ही किया है।
मित्र : अरे तुमने खून कर डाला और खुलेआम कहते फिर रहे हो कि मैंने एक और खून कर डाला। न तो तुम किसी संगठन के सरगना हो और न ही किसी राष्‍ट्र के राष्‍ट्राध्‍यक्ष तुम कैसे उचित ठहराओगे अपने खून को। तुम्‍हें पुलिस का जरा भी डर नहीं। ये बताओ कि पुलिस को अभी तक पता चला कि नहीं, वो तो तुम्‍हारे पीछे पड़ी होगी।
टिक्‍कू : पता चला या नहीं, यह पता करना मेरा काम थोड़े ही है। जब उसे (पुलिस) पता चलेगा तो वो स्‍वयं जो उचित समझेगी करेगी। गिरफ्तार करेगी, अदालत को सौंपेगी या वो भी मेरा खून कर देगी। लेकिन मैं कोई ऐसा वैसा खूनी नहीं हूं जो खून करूं फिर इधर उधर भागता फिरूं या दलीलें पेश करूं। मैंने खून किया है तो खुलेआम कुबूल करता हूं और अगर कोई सजा मेरे लिए तजबीज की जायेगी तो मैं उसे कुबूल भी करूंगा। लेकिन मित्र आज तक मेरे द्वारा किये गये पिछले खूनों के लिए तो कोई मुझे सजा नहीं दे पाया है।
मित्र : तुम कैसी विरोधाभासी बातें कर रहे हो। एक आम आदमी तो दस रुपये चुराकर भी बच नहीं सकता और तुम कहते हो कि खून करने के बाद भी तुम्‍हारा कोई कुछ बिगाड़ नहीं पाया। मुझे सारा माजरा सही सही बताओ, खोल कर बताओ।
टिक्‍कू : ठीक है, यह रहस्‍योद्घाटन मैं तुम पर अपनी अगली मुलाकात में कर दूंगा। यह मेरा वादा रहा। लेकिन आज मुझे जाने दो मेरा मन बहुत उदास है। मैं अब ज्‍यादा बोलने के मूड में नहीं हूं। नमस्‍कार।  

From the desk of : MAVARK

2 comments:

  1. Respected Mavark ji ,
    Great!
    No doubt you have created a great satire(व्यंग) in suspense but we are anxious to know the reality of the whole happenings ??

    Sonal.

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  2. किसी खून चूसने वाले का

    खून करने के बाद ही

    कोई इतना बेधड़क
    धड़कता
    रह सकता है।


    भड़कन के लिए भी

    अनिवार्य है बंधु

    ध से धड़कन, पर

    निकल गया कन
    तो बचेगा धड़।


    पर नहीं बचेगी

    धड़कन।

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