Tuesday, February 17, 2009

एकाकीमन

POST NO. 8
एकाकीमन

 

  • हम सभी हमेशा इस प्रयास में रहते हैं जो हमें नहीं पसंद है उससे मुक्‍त हो जायेंजिसे हम सुख का कारक नहीं मानते हैं उससे मुक्‍त हो जायें, जिसका साथ मुझे सुखमय नहीं लगता उससे मुक्‍त हो जायें। मुक्‍त होना एक प्रक्रिया है लेकिन ऐसी प्रक्रिया जो होने के साथ पुन: दूसरी प्रतिक्रिया को जन्‍म दे देती है, तो निश्‍चय ही हर मुक्ति के पीछे तमाम प्रतिक्रियाओं का जन्‍म होगा और हम मुक्‍त किए जाल से छूट कर प्रतिक्रियाओं के नये जाल में जकड़ जायेंगे।

  • आज का युवक विद्रोह की राह पर है। पग पग पर विद्रोह उसका सबब बन गया है। घर में विद्रोह, समाज से विद्रोह, व्‍यवस्‍था से विद्रोह और यहां तक कि अपने से विद्रोह करने में भी वो गुरेज नहीं करता। विद्रोह का जाल बढ़ता जा रहा है और आज का युवक उसमें उलझता जा रहा है। विद्रोह से न तो कोई समाधान मिलता है और न मुक्ति।

  • मुक्ति का उद्भव  तभी होता है जब आप सोचते हैं, जब आप देखते हैं और कुछ करते हैं। विद्रोह के द्वारा कदापि नहीं। त्‍वरित उदाहरण के रूप में जैसे हम किसी खतरे को देखते हैं सोच विचार, बहस विवाद और  संशय के बिना तुरंत रक्षा की क्रिया शुरू हो जाती है। इसका अर्थ ये हुआ कि देखना और क्रिया तो मूल है, सोचना तो जब संभव होगा, जब समय होगामुक्‍त होना , एकाकीपन, विद्रोह ये मन की आंतरिक दशाएं हैं जो किसी बाहरी उत्‍तेजना और  किसी ज्ञान पर निर्भर नहीं हैं और न ही किसी अनुभव और निष्‍कर्ष का प्रतिपाद हैं। हममें से अधिकांश लोग आंतरिक रूप से कभी भी एकाकी नहीं होते। उन्‍हें एकाकी  होने में डर लगता है। उन्‍हें हमेशा किसी का साथ चाहिए। वैसे भी एकाकी होने के लिए अथाह आत्‍मविश्‍वास कीआवश्‍यकता होती है।

  • एकाकी होने में बाधक हैं हमारी स्‍मृतियां, हमारे संस्‍कार, बीते हुए कल की तमाम घटनाएं। हमारा मन तो इन सभी बातों से कभी रिक्‍त ही नहीं हो पाता। तो एकाकी कैसे होगा? वस्‍तुत: एकाकी होना एक निष्‍कलुष मन:स्थिति है। निष्‍कलुष मन:स्थिति, मन को दुखों से मुक्‍त कर देती है। विद्रोह शांत हो जाता है। भय तिरोहित हो जाता है। हमें एक संपूर्णता का अनुभव होता है। ऐसी संपूर्णता जिसमें न तो अहं है और नही कोई दीनता।


From the desk of : MAVARK

   Posted by : MAVARK

 

 

6 comments:

  1. एकाकी होने में अब ब्‍लॉग भी बाधक है
    वैसे विचारों का भी एक अच्‍छा साधक है
    जो जुड़ जाए एक बार नहीं चाहता कभी
    छूटे कभी भी, ब्‍लॉगयुक्‍त हो जाएं सभी।

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  2. well said....ultimate lines

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