Friday, February 26, 2010


पोस्‍ट नंबर - 20
*आग*
कहीं दूर …… दूर कहीं ……
एक बहुत बड़े ज्‍वालामुखी का विस्‍फोट होता है,
जंगलों में आग लग जाती है,
और एक तूफान समंदर को ,
अपनी बाहों में जकड़ लेता है।
फिर कहीं दूर किसी नाव में ,
खारा पानी भर जाता है।
जो न उलीचने से खत्‍म होता है
और न नाव ही डूब पाती है।
ऐसे में जड़ता का लिहाफ ओढ़कर
मैं चुपचाप पड़ जाना चाहता हूं ,
क्‍योंकि मैं नितांत अकेला होता हूं।
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WISHING TO ALL BLOGGERS VERY VERY HAPPY HOLI.
:--Specially dedicated those who find them selves quite alone at certain occassions. --:
From the desk of:MAVARK

3 comments:

  1. मार्मिक रचना है । आपको भी होली की शुभकामनायें

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  2. अपने व्‍यस्‍ततम समय में से भी समय निकालना तो कोई आपसे सीखे। मान गए आपको। और विचार तो आपके हैं ही अनमोल। होली पर असीम रंगकामनाएं।

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  3. बहुत दिन हो गये कोई नई पोस्ट नही आई आपकी...कैसे है आप?

    ----विनोद पांडेय

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