Monday, September 15, 2014





!!! आवारगी ! !!
दिल ढूंढता है आज ऐसी आवारगी,
जिसमे मैं मस्त तो रहूँ लेकिन,
मुझे कोई आवारा न समझे !
बहूं मै दर-बदर हर रोज़ मस्ती में ,
मगर कोई, दर्द का दरिया न समझे !
किनारे पास हों अपने मगर ,
दिल कभी उनको सहारा न समझे !
टूट कर , बिखर कर भी, हाथ ना आऊँ,
जमाना लाख खोजे हर सुबह हर शाम मुझको,
मगर हर रोज़ वो मुझको कभी खोया न समझे !
(नीरेश शाण्डिल्यायन -15-09-2014)

Friday, August 29, 2014

POST No.-- 23

                                 


                                                                  


                        !! नयी  सोच की  ओर !!





                 आज इस बात की आवश्यकता है कि हम अपने पूर्वजों के अद्भुत प्रयोगों और तजुर्बों को आज के सन्दर्भ में अध्यन करें और भारत को समृद्ध एवं गौरवशाली बनाने हेतु अपने नौनिहालों की परवरिश का पक्का इंतजाम करें !
( I mean to say '' All must be seriously analysed in view of existing living conditions and social environment '' for the best and guaranteed results .)
                 बाहिरी दुनिया व आधुनिक संसाधनों को बिना समझे , अत्यंत आरामदायक स्कूल, लग्जरी आवास ( जैसे आज का वातानुकूलित डे बोर्डिंग स्कूल - हॉस्टल ) का आदी बना देने के बाद जब वो ( आज का बच्चा / नवयुवक / स्ट्डेंट इस लायक नहीं बन पाता कि वह स्वयं अपने बल पर वैसा ही कमा सके तो वह भ्रष्ट तरीकों / क्रिमिनल प्रयोगों कि तरफ मुड़ जाता है ! अस्तु !! 

(नीरेश शाण्डिल्यायन)

Thursday, June 26, 2014

 
 

 POST No. 22

 
 
 
 
!!हमारे संस्कारो पर आज के वैज्ञानिक युग के सन्दर्भ में आप के विचार!!

आज हमारे बच्चों की बौद्धिक छमता , तार्किक शक्ति और लॉजिकल एप्रोच ( Argumentative capacity and logical approach ) बहुत अच्छी है !
अगर हम चाहते है कि हमारी मान्यताएं , हमारे संस्कार हमारे बच्चों तक हमारी विरासत के रूप में पहुंचें तो हर छोटी बड़ी बातों को सुग्राह्य तर्कों के साथ उन तक पहुंचाना होगा !
इसी धेय से इस ग्रुप का गठन किया गया है!
आप के अनुभव व विचार सादर आमंत्रित हैं !
केवल वैज्ञानिक तर्कों के साथ ज्ञान वर्धक लेखों की अपेछा है !
हमें केवल अच्छे संस्कारों के बारे में ही चर्चा करनी है , किसी भी धर्म , समुदाय के विचारो वा उनके संस्कारो की आलोचना स्वीकार्य नहीं होगी !
आप के विचार और ज्ञान को हम सभी जान कर आनंदित होंगे और हमारे नौनिहाल इस का भरपूर लाभ उठाएंगे ऐसी हमारी परिकल्पना है !
स्वस्थ ,सुन्दर , दृढ विचारों वाले और संस्कारिक समाज के निर्माण के लिए आप के सहयोग का सदैव-२ आभार रहेगा! You are welcomed to join our GROUP :- " हमारे संस्कार "
( नीरेश शाण्डिल्यायन )

Saturday, January 5, 2013


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From the desk of MAVARK (uhjs'k 'kkafMY;k;u)  
  20- 12- 2012
                     

Friday, February 26, 2010


पोस्‍ट नंबर - 20
*आग*
कहीं दूर …… दूर कहीं ……
एक बहुत बड़े ज्‍वालामुखी का विस्‍फोट होता है,
जंगलों में आग लग जाती है,
और एक तूफान समंदर को ,
अपनी बाहों में जकड़ लेता है।
फिर कहीं दूर किसी नाव में ,
खारा पानी भर जाता है।
जो न उलीचने से खत्‍म होता है
और न नाव ही डूब पाती है।
ऐसे में जड़ता का लिहाफ ओढ़कर
मैं चुपचाप पड़ जाना चाहता हूं ,
क्‍योंकि मैं नितांत अकेला होता हूं।
****** ****** ****** ******
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WISHING TO ALL BLOGGERS VERY VERY HAPPY HOLI.
:--Specially dedicated those who find them selves quite alone at certain occassions. --:
From the desk of:MAVARK

Saturday, August 29, 2009

बेमौसम की होली



पोस्‍ट नंबर - 19
बेमौसम की होली
बीजेपी की टोली
1. हम आप सभी होली खेलते हैं, एक दूसरे पर रंग डालते हैं
गुलाल लगाते हैं, कीचड़ फेंकते हैं, गोबर फेंकते हैं,
कीचड़ में‍ छिपाकर कंकड़ मारते हैं, बहाने से धक्‍का दे देते हैं
और मौका मिलते ही औंधे मुंह पटक देते हैं!
कभी कभी थूक देते हैं , और कभी कभी ........................
क्‍योंकि हम होली अपने अपने मानसिक स्‍तर के अनुसार ही खेलते हैं
2. होली ज्‍यादातर अपने अपने गुट में ही खेली जाती है
ये बात और है कि आपकी होली देखकर दूसरे मजा लेते हैं
लेकिन मजा भी अपने अपने मा‍नसिक स्‍तर के अनुसार ही लेते हैं
आशा है आप भी आजकल की बेमौसम की होली को देख रहे होंगे, पर मुझे नहीं मालूम कि आप मजा ले रहे हैं या दुखी हो रहे हैं ।
3. कभी कभी हम लोगों को अपने अतीत के पन्‍नों में खोई हुई कुछ बेहद दिलचस्‍प और शिक्षाप्रद यादें ताजा हो जाती हैं।
एक बार कुछ अनपढ़, उजड्ड लोगों ने ऐसी होली खेली कि सबके कपड़े तक फट गये केवल कीचड़ ही उनकी लज्‍जा निवारक बनी थी !
शुक्र है उस गुट के सभी लोगों ने एक दूसरे पर खूब गीली काली और बदबूदार कीचड़ फेंकी थी
दुनिया की नजरों में तो वे नंगे थे लेकिन उनको लग रहा था कि कीचड़ की मदद से उनका
नंगापन छिपा हुआ है क्‍योंकि वो बदबूदार कीचड़ के आदी बनते जा रहे थे।
उसी में उन्‍हें सब गुण नजर आ रहे थे।
होली में जोश होता है, जुनून होता है,
एक दूसरे के प्रति संवेदनहीनता नहीं होती। उम्र का बंधन नहीं होता।
From the desk of : MAVARK
* वैसे तो मैं किसी भी पार्टी या गुट के बारे में कुछ लिखना पसंद नहीं करता लेकिन जब कुछ ऐसा हो रहा हो जिसका असर पूरे देश पर पड़ रहा हो और पूरा विश्‍व हंस रहा हो तब कुछ न कुछ कहना ही पड़ता है।